रमेश : मैं हूँ रमेश
और ये हें
सुरेश|
सुरेश: कहने को
तो हम NIT Trichy के छात्र
हैं,
मगर
सब कहते हैं
की हम इंजिनियर
नही,
सिर्फ़
हँसी के पात्र
हैं|
रमेश: EEE विभाग में
प्रवेश लिया था
4 वर्ष पहले
हमने,
देखे
ही नही पूरे
भी किए बहुत
से सपने|
सुरेश: खैर छोडो
ये विभाग की
बातें,
पहले
सुनो हमारी हास्य
भरी दास्तानें|
रमेश: प्रथम वर्ष
में हमे आविन
बड़ा भाया,
मात्र
१० रुपये में
हमने मिल्कशेक बहुत
मचकाया|
सुरेश: प्रथम वर्ष से याद आयीं आई-लब की रातें,
जहाँ
बहुत घंटे बिताए
थे,
फ़ेसबुक
से लेकर ट्विटर
तक
सब
के अकाउंट वही
तो बनाए थे|
रमेश: फ़ेसबुक का नाम ना लो जनाब,
सुनकर
हो जाता हैं
मन बड़ा खराब|
सुरेश: क्यो भाई, क्या हुआ?
क्या
तुम्हारा दिल भी
वहाँ किसी पर
फ़ना हुआ?
रमेश: कहानी कुछ
ऐसी ही हैं
भाई,
सोचा
था उस हरे
सूट वाली को
बनाएगे लुगाई,
पर
दाँव उल्टा पड़ा
और हो गयी
उसके मुस्टंडे भाई
से पिटाई|
सुरेश: कहानी विस्तार
से सूनाओ बालक,
और
अगली बार से
पिटना नही,
आज
से खाना शुरू
करो अंडे और
पालक|
रमेश: तुम क्या समझोगे, तुमने कौन सी दर्द भरी रातें बिताई हैं,
तुम्हारे
स्टेटस पर तो
हमेशा छप्पर फाड़
कर comment और
like आई है|
सुरेश: चलो जाने दो फ़ेसबुक को तो भाई,
ये
बताओ हरे सूट
वाली के बाद,
कभी
और कोई पसंद
आई?
रमेश: पटाने की फ़ुर्सत नही मिली, पसंद तो बहुत आई,
छोड़ेंगे
नही उस नास-पीटे सी-आर को
जिसने इतनी क्लास
लगाई|
सुरेश: कुछ भी कहो, उस सी-आर का नाम ना लो यार,
दूसरे
वर्ष में जिस
पर दिल आया
था, वो
करती थी उससे
प्यार|
रमेश: हाँ भाई, क्न्याओ की कमी हैं यार,
स्थिति
ऐसी जैसे, एक
अनार सौ बीमार|
सुरेश: अरे तुम्हे क्या किसी ने लाइब्ररी का हाल सुनाया है,
हमने
भी वहाँ गुटरगु
करते जोड़ो को
बहुत सताया हैं|
रमेश: गुटरगु से याद आए, केम्पस के कुत्ते और गाय,
कभी हम उन्हे और कभी वो हमे दौड़ाए|
सुरेश: दौड़ाने से याद आया, हमारे जूनियर्स का प्यार,
याद
हैं तुम्हे जब
चढ़ा था तुम्हे
भी रेगिंग लेने
का बुखार|
रमेश: अरे हाँ! जूनियर्स को बहुत चिकनी चमेली पे नचाया था,
९०
से लेकर १८०
तक सभी कोनो
पे झुकाया था|
सुरेश: चिकनी चमेली
से याद आया
वो प्रोफेसर जो
लड़कियों जैसे चलता
था,
जब
वो अदायों से
बातें करता था,
उसके मुड़ते ही,
पूरा क्लास उसपे
हँसता था|
रमेश: नाम ना ले उस धूर्त्ती का, उसने बहुत वॉट लगाई है,
जिस
लेब मैं जहाँ
'S' ग्रेड मिलना
था, वहाँ ससुरा
'E' ग्रेड आई
है|
सुरेश: E ग्रेड से याद आया, campus का दवाखाना,
भाई
पेट दर्द हो
या हो आँख
फड़फड़ाई,
इतना
जान लो, मिलेगी,
एक ही सर
दर्द की दवाई|
रमेश: चल मेरे भाई, पेट में चूहे कूद रहे,
Mess
पास ही हैं,
क्यो ना वही
चले|
सुरेश: Mess हम ना जायेंगे, सेहत की फ़िक्र हैं हमे,
ना
जाने राजमे की
दाल में, कितनी
ही बार झींगूर पड़े
मिले|
रमेश: चल छोड़ फिर हम FEST की स्टाल पर चलते हैं,
दुगने
पैसे देकर सस्ती
चना चाट आते हैं|
सुरेश: चलते हैं अब दर्शको की इज़ाज़त लेकर,
शुभकामनाओ
के साथ ये
संदेश देकर,
रुक
जाना नही कही
हार के,
हर
मुश्किल से लड़ना
सीना तान के|
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